अलवर। शरद ऋतु के दौरान शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पुरानी परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार बरेली का गुड़ की बाजारों में बिक्री परवान पर है। एलोपैथिक और आयुर्वेद के मुताबिक भोजन के पश्चात दूध में गुड़ मिलाकर सेवन करने से रक्त शोधन का काम करता है। साथ में यह बहुजन को सुपाच्य भी करता है। पुरानी परंपरा के आधार पर आज भी हर वर्ग सर्दी के मौसम में भोजन के पश्चात गुड़ का उपयोग करते हैं। साथ में गुड से निर्मित तिल पापड़ी लड्डू बनाकर शरीर को शक्ति और ताकत प्रदान करने के लिए हर घर में मुख्य रूप से चीनी की जगह गुड़ का उपयोग करते हैं।
मालाखेड़ा अलवर ग्रामीण राजगढ़, लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र के कस्बे लक्ष्मणगढ़ खेड़ली में इन दिनों भेली वाला गुड 35 किलो और कानावत पड़ी वेपीडी वाला गुडी 35 किलो है। लेकिन दुकानदार बताते हैं भेली वाला गुड गन्ने के रस से बनाया जाता है। शुद्ध गुड है जब की पेडी वाला गुड में कुछ.........Read More
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