दिल्ली। आज के वैज्ञानिक युग मे भी अन्धविश्वाशी लोगो की कमी नही। अपनी साधना और स्वार्थ के लिए संरक्षित पक्षियों की भी बलि देने से बाज नहीं आ रहे है। राजधानी दिल्ली के सुल्तानपुरी में ऐसी घटना घटी जिसमे दुर्लभ प्रजाति के उल्लू की बलि दे दी गई। हालांकि हासिल कुछ नही हुआ और आरोपी कन्हैय्या पुलिस की गिरफ्त में आ गया। अंधविश्वास तंत्र साधना,वशीकरण के लिए आज भी उल्लुओं की बलि का सिलसिला जारी है। इस दीवाली पर कन्हैय्या नाम के शख्श ने एक महिला को वश में करने के लिए उल्लू की बलि दे दी ।अगले दिन उसके पिता की मौत भी हो गई, लेकिन उसने अपना काम जारी रखा। हालांकि कन्हैया इन बातों से साफ इंकार कर रहा है। पुलिस की माने तो उसके घर के कूलर से मरे हुए उल्लू बरामद किए गए।
कन्हैय्या इतनी चालाकी से काम करता था कि उसके पड़ोसियों को इसकी भनक तक नही होती थी। पड़ोसियों को इस बात की भनक तब लगी जब पुलिस ने उसके घर दबिश दी। पड़ोसी भले ही इन सबकी जानकारी न होने की बात करते हो, लेकिन सवाल उठना तो लाजिमी है, आखिरकार जो पड़ोसी कई सालों से वहाँ रह रहे है। उनको भनक तक नही लगी कन्हैय्या के गतिविधियों की। वाइल्ड लाइफ जानकारों की राय माने तो वो इन सब बातों से इत्तेफाक नही रखते। उनका कहना है कि ये सब बातें पुराने समय मे होती थी।
उल्लू तो किसानों का साथी है, जो चूहे खेत की फसलों को नुकसान पहुचाते है, उल्लु उनका दुश्मन है, और ये कहा तक सही है कि उल्लुओं की बलि तंत्र मंत्र के लिए किया जाता था ।वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सजा का भी प्रावधान है, जिसमे 3 साल की सजा है। बावजूद इसके अंधविश्वास के नाम निरीह पक्षियों का वध करने से मनुष्य बाज नहीं आ रहा है। ReadMore
उल्लू तो किसानों का साथी है, जो चूहे खेत की फसलों को नुकसान पहुचाते है, उल्लु उनका दुश्मन है, और ये कहा तक सही है कि उल्लुओं की बलि तंत्र मंत्र के लिए किया जाता था ।वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सजा का भी प्रावधान है, जिसमे 3 साल की सजा है। बावजूद इसके अंधविश्वास के नाम निरीह पक्षियों का वध करने से मनुष्य बाज नहीं आ रहा है। ReadMore
No comments:
Post a Comment