अधर झूल में लटक गई ट्रांसपोर्ट नगर योजना

मेड़ता सिटी। नागौर जिले के मेड़ता सिटी नगर पालिका क्षेत्र में आईडीएसएमटी योजना के तहत जोधपुर रोड तिराहे के पास करीब 13 वर्ष बाद भी प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट नगर योजना अधर झूल में लटकी पड़ी है। सात साल पूर्व प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट नगर में सड़कों के निर्माण के साथ बिजली पोल लगाने के बाद कुछ भूखंडों की नीलामी होने पर योजना के अमली जामा पहनने की उम्मीदे जगी थी, लेकिन कुछ भूखंडों की नीलामी के बाद से अब तक यह योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है। प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट नगर के आज यह हालात हो गए कि पालिका की ओर से डम्पिंग यार्ड के तौर काम लेने की वजह से यहां पर चारो तरफ कचरों के ढेर लगे है। ट्रांसपोर्ट नगर के विस्तार के लिए सड़कों और विद्युत पर अब तक लाखों की राशि खर्च होने के बावजूद यह योजना अमली जामा को लेकर तरस रही है। अगर शीघ्र ट्रांसपोर्ट नगर विकसित हो जाता है तो उससे ना केवल मेड़ता नगर में लगातार बढ़ रहे यातायात का दबाव भी कम होगा, बल्कि ट्रांसपोर्ट नगर भू-खंडों की नीलामी से आने वाली राशि से नगर के विकास में भी सहयोग मिलेगा।  
करीब 13 साल पूर्व शुरू हुई थी कवायद 
नगर पालिका क्षेत्र में आईडीएसएमटी योजना के तहत वर्ष 5 में जोधपुर रोड तिराहे के पास ट्रांसपोर्ट नगर विकसित करने की कवायद शुरू की गई थी। जिसके तहत नगर पालिका द्वारा इस योजना का पूरा खाका तैयार कर जिला कलेक्टर नागौर को प्रस्ताव लिए भिजवाया गया था। बाद में वर्ष 6 में केन्द्र सरकार की ओर से पालिका को अनुपात में राशि मिलने के बाद पालिका द्वारा दस साल पूर्व ही प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट नगर में करीब 20 लाख की लागत से रोड निर्माण और रोशनी के लिए विद्युत पोल लगाए गए थे।  
कचरों के लगे ढेर 
प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट नगर में मौजूदा समय में कचरों के ढेर लगे हुए, शहर का कचरा यहां पर डाले जाने की वजह से दिन भर आवारा पशु भी यहां मंडराते रहते है। चारों तरफ लगे कचरों की ढेर की वजह से प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट नगर डम्पिंग यार्ड बनकर रह गया है। 
कभी बंधी कभी टूटी उम्मीदें 
जब सड़क निर्माण और विद्युत पोल लगाने और यहां पर करीब 5 भूखंडों की नीलामी के बाद इस योजना के पूरी होने की उम्मीद भी बंधी थी। लेकिन उसके बाद फिर से यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। वर्ष 2012 में यहां पर भू-खंडों की नीलामी शुरू हो गई थी, जिसमे जिला कलेक्टर नागौर के प्रतिनिधि के रूप में तहसीलदार की मौजूदगी में भू-खंडों की नीलामी शुरू की गई थी, लेकिन दो दिन चली नीलामी के दौरान महज 5 भू-खंडों की नीलामी के बाद फिर और भू-खंडों की नीलामी आगे नही हो पाने के बाद एक बार फिर से यह योजना अधर झूल में लटक गई। भू-खंड खरीदने वाले लोगों की 60 लाख.....Read More 

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