धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव

भरतपुरराजस्थान के एकमात्र ब्रज क्षेत्र कामवन जो कि उत्तरप्रदेश और हरियाणा की सीमाओं से सटा होकर भी राजस्थान में अपनी अलौकिक छटा बिखेर रहा है। कामवन में मंदिर श्री गोकुलचंद्रमाजी पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की पूरे विश्व में स्थित सात पीठों मे से एक प्रमुख पंचम पीठ है। रासेश्वर, ललित-त्रिभंगी श्री गोकुलेन्दु प्रभु (चंदबाबा) का स्वरूप विराजित है। गुंसाई जी के पंचम कुमार श्री रघुनाथजी के माथे विराजित ठाकुर जी की अष्टयाम सेवा में राग-भोग-श्रृंगार की प्रधानता है। मंदिर श्री मदनमोहन जी विश्व में पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की स्थित सात दुर्लभ पीठों में से एक सप्तम पीठ है। यज्ञकुण्ड से प्रगट मदनमोहन लाल के स्वरूप के साथ राधारानी और चन्द्रावली जी का स्वरूप विराजित है। गुंसाई जी के सप्तम कुमार श्री घनश्याम जी के माथे विराजित ठाकुर जी की अष्टयाम सेवा में राग-भोग-श्रृंगार की प्रधानता है। यहां दोनों हवेलियों में अष्टयाम सेवा के अंतर्गत प्रतिदिन मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, संध्यारती शयन के दर्शनों में प्रतिदिन असंख्य श्रद्धालु दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है।
कामवन नाम कामां का पौराणिक और साहित्यिक नाम है। पूरे वृज में दीपावली के अगले दिन कार्तिक मास की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा (गिर्राज पर्वत पूजा) की जाती है और साथ ही घर घर गिर्राज पूजा हेतु अन्नकूट प्रसादी भी बनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इन्द्र के घमंड का मान मर्दन करने हेतु वृज क्षेत्र में इन्द्र की पूजा बंद करवा कर श्री गिर्राज पर्वत की पूजा शुरू करवा दी। इन्द्र ने क्रोधित होकर घनघोर वारिश शुरू कर दी तो वृज के लोग श्री कृष्ण की शरण में अपने अपने पशुधन को लेकर पहुंच गए। श्री कृष्ण ने अपनी कंही उंगली पर गिर्राज पर्वत को उठा कर शरण में आये ग्वाल वालों सहित सभी व्रजवासियों की रक्षा की। ऐसा होता देख इन्द्र भी......Read More

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