बाड़मेर। भारत पाकिस्तान की सीमा पर स्थित राजस्थान सरहदी जिले बाड़मेर में चौहटन से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ वांकल धाम वीरातरा माता का मंदिर कई शताब्दियों से भक्तों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां प्रति वर्ष चैत्र, भादवा और माघ माह की शुक्ल पक्ष की तेरस और चौदस को मेला लगता है। यहां अखंड ज्योत जलती रहती है। इस अखंड दीपक की ज्योति और घंटों और नगाड़ों की आवाज के बीच जो जनमानस नारियल जोत पर रखते है तो एक नई रोशनी रेगिस्तान के वीरान इलाके में चमक उठती है। वीरातरा माता की प्रतिमा प्रकट होने के पीछे कई दंतकथाएं प्रचलित है। एक दंतकथा के अनुसार प्रतिमा को पहाड़ी स्थित मंदिर से लाकर स्थापित किया गया।
अधिकांश लोगों का कहना है कि यह प्रतिमा एक भीषण पाषाण टूटने से प्रकट हुई थी। जिसका प्रमाण वे उस पाषाण को मानते है जो आज भी मूल मंदिर के बाहर दो टुकड़ों में विद्यमान है। वीरातरा माता की प्रतिमा के प्राकट्य की एक कहानी यह भी जुड़ी हुई है कि पहाड़ी पर स्थित विरातरा माताजी के प्रति लोगों की अपार श्रद्धा थी। कठिन पहाड़ चढ़ाई, दुर्गम मार्ग और जंगली जानवरों के डर के बावजूद श्रद्धालु दर्शन करने मंदिर जरूर जाते थे। इसी आस्था की वजह से एक 80 वर्षीय वृद्धा माताजी के दर्शन करने को पहाड़ी के ऊपर चढ़ने के लिए आई। लेकिन वृद्धावस्था के कारण ऊपर चढ़ने में असमर्थ रही। वह लाचार होकर पहाड़ी की पगडंडी पर ....Read more
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