जयपुर। प्रदेश के केंद्रीय कारागृह में मादक पदार्थो का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, जेलों के अंदर कैदियों को न सिर्फ नशे के उत्पाद उपलब्ध हो रहे है इन्हे वह सभी संसाधन उपलब्ध हो रहे है जिन्हे कभी कभार फिल्मो में दिखाया जाता है, जेल के अंदर से मोबाइल के जरिये रंगदारी, चौथ वसूली का खेल धड़ल्ले से जारी है। ऐसी पहले कई खबरे आई, इस खेल के पीछे कही कोई बड़ा खेल तो नहीं, आखिर कैसे और कौन है जो इस तंत्र को खोखला कर रहा है कई राजस्थान की जेलों का हाल फ़िल्मी जेल दृश्यों की तरह तो नहीं।
प्रदेश की जेल महफूज नहीं है, कहने को तो जेल में इतनी सुरक्षा की परिंदा भी पैर नहीं मार सकता, लेकिन जेलों के अंदर जब निकलती है तो पता चलता है की जेल में हर तरह के ऐशों आराम है, इन ऐशों आराम के लिए बड़े-बड़े खूंखार अपराधियों को बड़े-बड़े राजनेताओ की सांठ गांठ पर ही उन्हें सुविधाएं उपलब्ध होती है। जेल एक सजा है और समाजिक तौर पर यह एक समाज में कलंक और धब्बा समझा जाता है लेकिन आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोग जितने उनके ऊपर केस हो उसे उतना ही बड़ा डॉन समझा जाता है, उस व्यक्ति की राजनीति में अच्छी पकड़ भी हो जाती है, चलिए राजस्थान की गैंगबारी के पिछले कुछ घटना क्रम से आपको अवगत कराते है, गैंगबारी में दुश्मनी आज तक बदस्तूर जारी है।
वहीं इतनी सुरक्षा के वाबजूद कैसे उपलब्ध हो रहे है, यही नहीं जेलों के अंदर नशे के मादक पदार्थ तो जेल के बाहर से आ भी जाए लेकिन यह नशे के पैकेट उन तक ही कैसे पहुंच पाते है जो इनका सेवन करते है वहीं इस मामले में जेल प्रशासन का यह कह देना कितना समझ आता है की दीवारों से जेल के अंदर कुछ लोग उन्हें....Read more
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