मथुरा। मंगलवार को छठ पूजा का महापर्व कस्बा कोसीकलां में पूर्वांचल और बिहार के रहने वाले लोगो ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। लोगो के मुताबिक छठ पूजा के पर्व को पूरे भारत में ऐतिहासिक पर्व के रूप में मनाया जाता है। छठ को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है। इसके महत्व का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी गलती के लिए कोई जगह नहीं होती। इसलिए शुद्धता और सफाई के साथ तन और मन से भी इस पर्व में शुद्धता का ख्याल रखा जाता है।
इस त्योहार में महिलाएं और पुरुष भी पूरे जोशो-खरोश से इस त्योहार को मनाते हैं और व्रत रखते हैं। सूर्य उपासना और छठी मैया की पूजा के लिए चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का इतिहास भी बहुत पुराना है। पुराणों में ऐसी कई कथाएं हैं जिसमें मां षष्ठी संग सूर्य देव की पूजा की बात रही गयी है। फिर चाहे वो त्रेतायुग में भगवान राम हों या फिर सूर्य के समान पुत्र कर्ण की माता कुंती. छठ पूजा को लेकर परंपरा में कई कहानियां प्रचलित हैं।
इसी क्रम में कोसीकला के भगवती मंदिर स्थित गोमती कुंड नेशनल हाईवे के नहर के किनारे और कई अन्य जगहों पर पूर्वांचल और बिहार की महिलाओं और पुरुषों और बच्चों के द्वारा छठ पूजा के पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। जहां उन्होंने अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना की और सूर्य देव के छिपने के बाद पानी में खड़े होकर अपना व्रत किया और अपने परिवार की सुख शांति की प्रार्थना की इस मौके पर कुछ पूर्वांचल और बिहार की रहने वाले लोगो ने जानकारी दी है। ReadMore
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