कोटपूतली की चुनावी चौसर, जाति आधार पर ही लड़ा जाएगा चुनाव

कोटपूतली । चुनावी चौसर की बिसात बिछ चुकी है। राजनीतिक पार्टियों ने शतरंज की इस पारी में अपने अपने मुहरें सजाने शुरू कर दिए हैं। लगभग पौने पांच करोड़ मतदाता अपनी सरकार चुनने जा रहे हैं।   दिसम्बर माह में होने वाले  विधानसभा चुनाव को देखते हुए कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र में राजनैतिक घमासान शुरू हो गया है और भावी प्रत्याशी जन सम्पर्क कर मतदाताओं की नब्ज टटोलने में लगे हुए हैं। यही नहीं भाजपा- कांग्रेस से भावी टिकट के दावेदारों ने जयपुर दिल्ली में बैठे अपने राजनैतिक आकाओं के यहां दस्तक देना शुरू कर दिया है।
देखा जाए तो हर जगह विकास कार्य, भ्रष्टाचार, महंगाई समेत अन्य कई दर्जनों चुनावी मुद्दे होते हैं लेकिन कोटपूतली में इसके उलट बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था, क्षेत्र में व्याप्त अराजकता व जातिय समीकरण ही मुख्य चुनावी मुद्दा है। चुनावी समर को देखा जाए तो पूरे क्षेत्र में विकास के नाम पर कोई भी प्रत्याशी आगे आने को तैयार नहीं है। सब केवल क्षेत्र में फैली अराजकता व गुन्डागर्दी को ही चुनावी चौसर बनाकर मैदान में उतरना चाहते हैं। जातिय समीकरण में अहीर एवं गुर्जर सहित ब्राहण व एससी/एसटी प्रमुख जातियां है। लेकिन कांग्रेस भाजपा केवल गुर्जर, अहीर व राजपूत में से ही अपना सारथी चुनेंगे। लेकिन अन्य जातियों के मतदाता यहां कोई कमाल कर सके तो चुनाव परिणाम को बदल सकते हैं और इन जातियों के प्रत्याशी जो क्षेत्र के करीब 50 फिसदी मतदाता है। वे यहां पर फैली गुन्डागर्दी के विरोध में एकजुट होकर मतदान करने के लिए तैयार हो रहे हैं। क्योकि क्षेत्र में फैली दहशत के खिलाफ मतदाता का गुस्सा वोट के रूप में उतरना लगभग तय है।
यहां का मतदाता महंगाई, भ्रष्टाचार व विकास कार्यों को पीछे छोड़कर  बेहतर  कानून व्यवस्था शांति एवं अमन चाहता है। साथ ही इनमें तमाशबीन बनकर खड़े एवं गुन्डागर्दी का तमाशा देख रहे पुलिस प्रशासन के खिलाफ  भी शहर सहित यहां की आमजनता में भारी रोष व्याप्त है, जो ऐसे असामाजिक तत्वों का खुलेआम सामना तो भले ही ना कर सके लेकिन चुनाव में वोट के माध्यम से इनका मुहं तोड़ जवाब जरूर दे सकता है। कोटपूतली शहर के तीस वार्डों में लगभग 50  हजार मतदाता है, जो इस बार के चुनाव में सक्रिय होकर भुमिका निभाने एवं चुनावी रुख मोड़ने के लिए तैयार है। यहां के आम मतदाता के दिल में बदले की भावना पनप रही है। जिसे वों आने वाले चुनाव में पूरी करेगा।
कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची के अनुसार लगभग सवा दो लाख मतदाता है। यहां पर जातिय बाहुल्य गांवों के मतदान केन्द्रों पर अन्य जाति के मतदाताओं को बाहुबली के प्रत्याशियों की ओर से मतदान नहीं करने दिया जाता है। इसका कारण गांवों में रहने वाले अल्पमत जाति के लोगों का जीवन यापन है, जो रोजमर्रा के झगड़े के डर के कारण अपना मुंह नहीं खोल पाता।यहीं कारण है कि यहां 90- 95 फीसद मतदान होता है, जो किसी एक जाति के प्रत्याशी को चला जाता है। पोलिंग कराने आया दल भी इस पर चुप्पी साधे रहता है। क्योकी मतदान केन्द्रों पर कोई एतराज करने वाला नहीं होता। यही नहीं ये दल फर्जी मतदान रोकने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते क्योकि उन्हे जाति बाहुल्य लोगों से घेरा बंदी का भी डर रहता है।
 यहां ऐसे 50 फीसद मतदान केन्द्र है, जिन पर सरेआम कब्जा होता है। क्योकि निर्वाचन विभाग की ओर से ना तो यहां पर ईमानदार व मजबूत मतदान दल लगाया जाता है। ना ही पर्याप्त पुलिस की व्यवस्था होती है। यही नहीं बाहुबली प्रत्याशी पुलिस प्रशासन की मिली भगत से ऐसे मतदान केन्द्रों को संवेदनशील घोषित होने से रोक लेते हैं, जिसके कारण यहां पर कब्जा करने  वाले निर्भय होकर मतदान करते हैं। शहर सहित ऐसे मतदान केन्द्र जहां सभी जाति के मतदाता बराबर की संख्या में हो। वहां पूरी तरह से निष्पक्ष मतदान होता है। परन्तु इसका आंकड़ा 50 फीसद से उपर नहीं जा पाता है। निर्वाचन आयोग अगर ईमानदारी से कोटपूतली क्षेत्र के मतदान केन्द्रों का अगर जायजा लेते तो यहां दर्जनों की संख्या में संवेदनशील व अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्र मिलेंगे।

भाजपा व कांग्रेस में टिकटों की दावेदारी- प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलेट आ चुके है  एवं वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा लेकर आचुकी है । लेकिन इन यात्राओं का असर यहां पर साफ  नजर आ रहा है। एवं कांग्रेस-भाजपा के अलावा जदयू सहित निर्दलीय प्रत्याशी अपनी दावेदारी ठोकेंगे। कांग्रेस टिकट की अगर बात की जाए तो सबसे प्रबल दावेदार वर्तमान विधायक मेम्बर राजेन्द्र सिंह यादव की है। जो 2008  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट से चुनाव लड़ कर मात्र 800 वोटों से हारे थे।
 पिछले 5 साल में विधायक रहते हुए  कुशल राजनीतिक रणनीति एवं संगठनात्मक सक्रियता के कारण यादव टिकट की दौड़ में सबसे आगे हैं। अहीरों में इनके अलावा पूर्व पीसीसी मेम्बर मास्टर श्रीराम यादव का ही एक मात्र नाम है। गुर्जर समाज की अगर बात की जाए तो सबसे पहले नाम आता है रामस्वरूप कसाना को जो  वर्ष 2008 में बने मोर्चे लोसपा से चुनाव लड़कर विधायक बने संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना, जो की राज्य सरकार को समर्थन देने के कारण कांग्रेस टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं।गुर्जर समाज से पूर्व विधायक रामचन्द्र रावत, युंका नेता देव कसाना भी कांग्रेस टिकट की लाइन में है। 
दूसरी ओर भाजपा टिकट मांगने वालों की लिस्ट मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कोटपूतली में गौरव यात्रा के बाद अमरबेल की तरह बड़ी है यहां पर यदि बीजेपी के दावेदारों की बात की जाए तो सबसे पहले नाम निकल कर आता है पूर्व विधायक अतर सिंह भड़ाना जो कि भरतपुर के बयाना से विधायक रह चुके हैं जो  और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की करीबी माने जाते हैं।  वहीं दूसरा नाम आता है........Read More

No comments:

Post a Comment

कमलनाथ पुलिसकर्मियों को दे सकते है बड़ी राहत

दिल्ली ।  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जल्द ही पुलिसकर्मियों को हफ्ते में एक दिन की छुट्टी और एक नई भर्ती का ऐलान कर सकते है। कमलन...